कांग्रेस-आरजेडी के नेताओं के बीच बैठक: बिहार चुनाव की रणनीति को लेकर मंथन

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर गठबंधन की तस्वीर साफ है. आरजेडी की अगुवाई वाले महागठबंधन के साथ कांग्रेस विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए रजामंद है, लेकिन सीट शेयरिंग और सीएम चेहरे को लेकर कशमकश बनी हुई है. कांग्रेस नेतृत्व की बिहार के अपने नेताओं के साथ मंथन होने के बाद अब मंगलवार को आरजेडी नेताओं के साथ बैठक होने जा रही है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ होने वाली बैठक पर सभी की निगाहें लगी हुई है.
बिहार कांग्रेस नेतृत्व आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर राजी है, लेकिन इस बात पर सहमत नहीं है कि महागठबंधन का सीएम का चेहरा तेजस्वी यादव को बनाया जाए. ऐसे में तेजस्वी यादव की कांग्रेस नेतृत्व के साथ होने वाली बैठक काफी अहम मानी जा रही है. सवाल ये उठता है कि आखिर क्या वजह है कि तेजस्वी यादव के चेहरे को लेकर कांग्रेस दुविधा में फंसी हुई है. कांग्रेस की कोई सियासी चाल है या फिर सीट शेयरिंग के लिए बार्गेनिंग पॉवर बढ़ाने की स्ट्रैटेजी?
आरजेडी-कांग्रेस बैठक के पांच एजेंडे
आरजेडी कांग्रेस और वामपंथी दलों जैसे दल मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं, लेकिन सीट शेयरिंग और सीएम चेहरे की छाई अनिश्चितता मंगलवार को दिल्ली में होने वाली बैठक से दूर करने की कवायद की जाएगी. तेजस्वी यादव की मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ बैठक होगी, जिसमें दोनों ही पार्टी के वरिष्ठ नेता भी शिरकत करेंगे. इस दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है.
- .बिहार में किन मुद्दों को लेकर आगे बढ़ना है. कांग्रेस और आरजेडी नेताओं की बीच तय होगा कि किन मुद्दों पर चुनाव लड़ना है और कैसे विपक्षी दलों को सियासी टारगेट पर रखना है.
- .कांग्रेस, राजद, लेफ्ट, वीआईपी के बाद क्या पशुपति पारस को गठबंधन में लिया जाना चाहिए की नहीं. पशुपति पारस, बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए से नाता तोड़कर अलग हो गए हैं. पशुपति पारस ने कहा कि अगर उन्हें महागठबंधन में उचित सम्मान और उपयुक्त पद मिलता है तो वो शामिल होने पर विचार कर सकते हैं. इस तरह पशुपति पारस ने महागठबंधन का हिस्सा बनने की अपनी इच्छा जाहिर कर दी है.
- .गठबंधन का बड़ा प्रारूप कैसा हो, आरजेडी और कांग्रेस की भूमिका कैसी होगी. इस पर भी निर्णय लिया जाना है. माना जा रहा है कि सीट शेयरिंग को लेकर भी एक खाका खींचा जा सकता है, क्योंकि कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट बंटवारे को लेकर शह-मात का खेल चल रहा है.
- .बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के साथ चुनाव लड़ने पर उठ रही धुंध छांटने की कोशिश होगी. कांग्रेस नेताओं के बिहार में सक्रिय होने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन रहेगा कि नहीं. इस बैठक के बाद गठबंधन को लेकर सभी कयास पर पूर्ण विराम लगाने की रणनीति है.
- .तेजस्वी यादव के चेहरे पर सस्पेंस. आरजेडी नेताओं के साथ होने वाली बैठक में कांग्रेस बताएगी कि तेजस्वी यादव के चेहरे पर चुनाव लड़ने पर सवर्ण जातीय के वोटों के छिटकने का खतरा बन सकता है. इसीलिए कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव वाला ही प्लान बनाया है. कांग्रेस बताएगी कि सवर्ण के वोट को लिया जा सके, इसलिए वो रणनीति के तहत सीएम चेहरे की बात नहीं कर रही, ऐसे में कांग्रेस ने रणनीति बनाई है कि चुनाव के बाद जो पार्टी सबसे बड़ी बनकर उभरेगी, उसे ही पार्टी नेता तय करेगी, जिस तरह लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है.
कांग्रेस के फॉर्मूले पर तेजस्वी होंगे रजामंद
कांग्रेस के फॉर्मूले पर क्या तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी आरजेडी रजामंद होगी. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने जिस तरह से खुद मुखरता से तेजस्वी के नाम की घोषणा की है, कांग्रेस नेताओं ने इस पर कोई निश्चितता नहीं जताई है, लेकिन रजामंदी भी जाहिर नहीं की. कांग्रेस नेतृत्व सीएम के नाम पर आधिकारिक घोषणा से पहले सभी गठबंधन सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे पर स्पष्टता जैसी औपचारिकताओं को पूरा कर लेना चाहता है. ऐसे में आरजेडी भी सीएम चेहरे पर साफ स्टैंड चाहती है.
तेजस्वी यादव के साथ होने वाली बैठक में कांग्रेस की तरफ से सम्मानजनक सीटों की मांग की जाएगी. पिछली बार 70 सीट लड़कर वो महज 19 सीटें जीत पाई और इल्जाम लगा कि उसके स्ट्राइक रेट के चलते सरकार नहीं बनी. ऐसे में कांग्रेस का कहना है कि जो उसको 70 सीटें मिली थी, उसमें ज्यादातर सीटें सियासी अनुकूल नहीं थी. इसके अलावा जेडीयू और बीजेपी की मजबूत सीटें थी, जिसके चलते कांग्रेस नहीं जीत सकी थी. कांग्रेस नेताओं के एक अन्य वर्ग ने कहा कि वे पार्टी के लिए सीटों के ‘उचित और सम्मानजनक’ आवंटन पर नजर रख रहे हैं ताकि आरजेडी की योजना पर अपनी मुहर लगा सकें.
कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री ने कहा कि सीटों के बंटवारे के मामले में आरजेडी भरोसेमंद साझेदार नहीं है. 2010 में कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन टूट गया था, क्योंकि आरजेडी कांग्रेस के लिए उचित संख्या में सीटें छोड़ने को तैयार नहीं थी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने विभिन्न माध्यमों से जनता तक पहुंचने के लिए एक गहन अभियान शुरू किया है. यहां तक कि राहुल गांधी भी राज्य का दौरा कर रहे हैं और बिहार के मतदाताओं को जोड़ने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं.
वहीं, आरजेडी नेताओं का मानना है कि महागठबंधन के सीएम चेहरे को लेकर कोई विवाद नहीं है. तेजस्वी यादव पर सभी सहमत हैं. अब देखना है कि कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीएम चेहरे से लेकर सीट शेयरिंग पर फाइनल मुहर राहुल गांधी और तेजस्वी की बैठक में लग सकती है?