मैहर सीमेंट ने 22 साल से बना रखे हैं स्कूल, अस्पताल और आवासीय भवन 
भोपाल ।   एमपी सरकार ने मैहर सीमेंट परिवर्तित नाम अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी को करीब 67 हेक्टेयर जमीन 30 साल के लिए 1977 में लीज पर दी थी। बाद में लीज बढ़ाकर 90 साल कर दी गई। सीमेंट कंपनी ने 1981 से लेकर 2002 के बीच करीब 25.583 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा करते हुए उस जमीन पर स्कूल, अस्पताल और कर्मचारियों के लिए आवासीय मकान बनाकर दे दिए। 22 साल से अफसर सोते रहे और फरवरी 2024 में सरकार जागी। लेकिन कब्जा अभी तक नहीं हटा पाई है। इस मामले को शीतकालीन सत्र के दौरान वरिष्ठ विधायक डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह ने उठाते हुए सरकार से पूछा था कि क्या अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी ने मैहर जिले में वन भूमि पर अवैध कब्जा कर स्थायी, अस्थायी अतिक्रमण कर निर्माण कर लिया गया है कबसे, इसके लिए अल्ट्राटेक कंपनी के किस-किस नाम-पदनाम के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है और वन विभाग में कौन-कौन से अफसर दोषी है? लिखित जवाब में वन राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार ने बताया कि अभिलेखों के अनुसार वर्ष 1977 में वन विभाग द्वारा पूर्व कंपनी मैहर सीमेंट को वन भूमि व्यपवर्तन नियमों का पालन करते हुए कारखाने के लिए दी गई थी। आवंटित वन भूमि से अधिक जमीन पर कंपनी द्वारा निर्माण किया गया है। उक्त अतिक्रमण वर्ष 1981 से 2002 के मध्य पटवारी हल्का चौपड़ा सगमनियां एवं सोनवारी में 25.583 हेक्टेयर में किया गया है। मंत्री ने बताया कि अल्ट्राटेक कंपनी के संस्था प्रमुख के विरुद्ध वन अपराध प्रकरण 31/12 में 24 फरवरी 2024 में दर्ज किया गया। वनमंडल सतना की कार्य आयोजना में 2005 के पूर्व से अवैध अतिक्रमण का उल्लेख है। यानि सरकार ने गोलमोल जवाब देकर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली। 

पन्ना टाइगर रिर्जव में दी ओबेराय ग्रुप को जमीन 

विधायक अरविंद पटैरिया के सवाल पन्ना टाइगर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन के राजगढ़ मौजा खसरा नंबर 2091 की 2.80 एकड़ जमीन ओबेराय ग्रुप के राजगढ़ पैलेस एवं रिसोर्ट के नाम निजी दर्ज होने के सवाल पर मंत्री दिलीप अहिरवार ने लिखित जवाब में बताया कि वन व्यस्थापन अधिकारी ने खसरे के संपूर्ण क्षेत्रफल को संरक्षित वन एवं वन सीमा से विलोपित किया है। भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-17 के तहत प्रकरण कलेक्टर छतरपुर के समक्ष अपील में है। 

किसी भी अफसर के विरुद्ध नहीं की कार्रवाई

अल्ट्राटेक कंपनी ने वन भूमि की 25.583 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर स्कूल, अस्पताल और आवासीय भवन बना लिए और 22 साल से फारेस्ट विभाग के अफसर सोते रहे। किसी भी अधिकारी ने कार्रवाई करना उचित नहीं माना। जब बजट सत्र के दौरान यह मामला सदन में उठाया गया तो आनन-फानन में सरकार के अफसरों ने वन अपराध के तहत मामला दर्ज कर लिया, लेकिन न तो अभी तक अतिक्रमण हटाया गया है और न ही सरकार ने अभी तक डीएफओ के खिलाफ कोई कार्रवाई की है। सिर्फ छोटे अधिकारियों पर गाज गिरी। उधर, पन्ना टाइगर रिजर्व में ओबेराय ग्रुप को सरकार ने पहले से ही 7 एकड़ से अधिक भूमि आवंटित कर रखी है और अब टाइगर रिजर्व में रिसोर्ट बनाने के लिए ग्रुप को ज्यादा जमीन दे दी गई।