रियासत के साथ, सियासत का दंभ...
भाजपा विधायक ने कराया फर्जी नामांतरण, करीब ५० लाख रूपए की टेक्स चोरी का अनुमान
तहसीलदार ने नियमो का उल्लघंन कर समझौते के आधार पर किया नामांतरण, जबकि यहां लागू नही होता उत्तराधिकारी अधिनियम
रवि शर्मा कुरावर
कुरावर - सत्ता के रसूख के आगे नियम-कानून किस प्रकार बौने हो जाते है इसका ताजा उदाहरण नरसिंहगढ़ विधायक द्वारा करवाए गए नामांतरण में देखने को मिला है। दरअसल, हाल ही में विधायक राज्यवर्धन सिंह ने अपनी पत्नि के नाम करवाए भूमि नामांतरण में समझौते के आधार पर बिना रजिस्ट्री किए भूमि नामान्तरण करवा लिया गया। बड़ी बात यह है कि इस नामांतरण प्रक्रिया में उत्तराधिकार अधिनियम लागू नही होने के बावजूद तहसीलदार ने इस अधिनियम के तहत नामांतरण कर शासन को लाखो रूपए का चूना लगाया गया। मामला उजागर होने के बाद जहां विधायक राज्यवर्धन सिंह रियासत के साथ सियासत का दंभ भरते नजर आ रहे है। वही सत्ता के संरक्षण में तहसीलदार को भी अपनी इस गलती पर कोई ऐतराज नही है।
यह है मामला -
कुछ माह पूर्व तहसीलदार ने उत्तराधिकार अधिनियम का उल्लघंन कर नगर के बजरंग मोहल्ला स्थित शंकर सागर के नाम से जानी जाने वाली करीब २४ बीघा भूमि नामांतरण कर दिया। यह भूमि समझौते के आधार पर नरसिंहगढ़ विधायक राज्यवर्धन सिंह की पत्नि महारानी कल्पेश्वरी देवी के नाम पर की गई है। जबकि जिनके नाम पर यह भूमि थी वह गुर्जर समाज से आते है। ऐसे में समझौते के आधार पर नामांतरण केसे किया जा सकता है यह समझ से परे है। इस मामले में तहसीलदार ने प्रकरण क्रमांक ०५८४/अ६/२०२१-२२ पारित किया है। जिसमें भू राजस्व संहिता की धारा १०९-११० के अंतर्गत आदेश पारित करते हुए प्रथम पक्ष महारानी कल्पेशरी देवी पत्नि महाराजा राज्यवर्धन सिंह विरूद्ध केशर सिंह पिता रतनजी धाबाई द्वारा वारिसान माधव धाबाई, मुकुल धाबाई, प्रीती पंवार/ गोविंद पिता रतनजी धाबाई द्वारा वारिसान कमला धाबाई, प्रभा, चिराग धाबाई तर्फे पावर ऑफ अटॉनी होल्डर माधव धाबाई निवासी इंदौर द्वितीय पक्ष के बीच फै सला देते हुए महारानी कल्पेश्वरी के नाम समझौते के आधार पर भूमि का नामांतरण कर दिया है।
बेशकीमती भूमि है शंकर सागर -
जानकारी के अनुसार राजपरिवार से जुड़े धाबाई परिवार को रियासत के दौर में ही भूमि दी गई थी। लेकिन सत्ता में आते ही विधायक ने उन्ही से यह भूमि वापस ले ली । जो कि नैतिक तौर पर भी सही नही है। हालांकि नियमो के अनुसार किसी भी भूमि का खरीदी-ब्रिकी की जा सकती है। लेकिन समझौते का आधार केवल ब्लड रिलेशन होने पर ही लागू होता है। ऐसे में देखना यह होगा कि राजस्व चोरी के इस मामले में शासन क्या कार्रवाई करता है। ज्ञात रहे कि शंकर सागर के नाम से जानी जाने वाली यह भूमि बेशकीमती है जिस पर विधायक के छोटे सुपुत्र महाराज कुंवर विश्वप्रताप सिंह पेट्रोल पंप निर्माण कर रहे है।
यहा होती है धारा 109 व 110
मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता वर्ष 1959 की धारा 109 व 110 के अंतर्गत रजिस्टर्ड विक्रय पत्र, रजिस्टर्ड दान पत्र, वसीयत, उत्तरा अधिकारी के आधार पर एवं सिविल न्यायालय की डिग्री के पालन में नामांतरण किया जा सकता है किंतु राजस्व न्यायालय में दो पक्षों के मध्य भूमि संबंधी विवाद में राजस्व न्यायालय को किसी भी भूमि स्वामी के हकों का समाप्त करने के अधिकार नहीं है तथा राजीनामा के आधार पर राजस्व न्यायालय के द्वारा किसी भी पक्ष को भूमि स्वामी घोषित नहीं किया जा सकता है इस मामले में तहसीलदार के द्वारा दो पक्ष जिनमें रक्त संबंध भी नहीं है से राजीनामा प्राप्त कर एक पक्ष के हकों का नष्ट किया गया है तथा एक पक्ष को अवैध रुप से भूमि स्वामी घोषित किया गया है जो कि अवैध है।
जनप्रतिनिधि की राह आसान जनता के लिए मुश्किल
वहीं दूसरी तरफ नामांतरण के इस मामले में जहां एक तरफ पारिवारिक बंटवारे में आम परिवारों को तहसील कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं जबकि वह पारिवारिक सहमति से होते हैं ऐसी परिस्थिति में भी पारो रिक बंटवारे में भी आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है तो वहीं दूसरी तरफ क्षेत्रीय विधायक श्रीमंत महाराज जो राज्यवर्धन सिंह की धर्मपत्नी कल्पेश वरी देवी का यह नामांतरण जो कि मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता के नियमों की श्रेणी में भी नहीं आता है उसके बावजूद भी यह अवैध नामांतरण कर दिया जाता है वही विभाग को चाहिए कि वह इस प्रकार के प्रकरणों में नामांतरण को निरस्त कर आम जनता को यह संदेश देकर राजस्व के नियम सभी के लिए एक समान है कहीं कोई पक्षपात नहीं होता है।
यह है इनका कहना
"हमारी सरकार है, सब काम हमारे अनुसार होंगे।"
- राज्यवर्धन सिंह, विधायक नरसिंहगढ़
"मेरे संज्ञान में आया है में दिखवाता हूॅ। जांच कर मामले में कार्रवाई करेंगे ।"
- अंशुमन राज, एसडीएम नरसिंहगढ़
"शासकीय नियमो और रजिस्टर्ड दस्तावेजो के आधार पर नामांतरण किया गया है।"
- पीसी पांडे , तहसीलदार नरसिंहगढ़
समझौते के आधार पर भूमि नामांतरण का आदेश ।